नैना सहस्रबुद्धे

नई दिल्ली: भारतीय स्त्री शक्ति की उपाध्यक्ष नैना सहस्रबुद्धे ने शनिवार को आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि, अहिल्याबाई होल्कर के ‘लोक-कल्याण' व ‘लोकहित' दृष्टिकोण आधारित उस सामाजिक चरित्र का पक्ष उजागर करती हैं जिसे समाज ने सम्मानित करते हुए ‘लोकमाता' का नाम दिया. लोकमाता के बहुआयामी कर प्रबंधन, राजनीतिक-प्रशासनिक-सामाजिक भूमिका का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इतिहासकारों ने अहिल्याबाई के चरित्र को हमसे छिपाया.

समाचार रिपोर्ट

नैना सहस्रबुद्धे ने यह बात, लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में रही. यह आयोजन नॉन-कॉलेजिएट महिला शिक्षा बोर्ड द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यकाम भवन में किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सीए एवं सामाजिक कार्यकर्ता अनिल गुप्ता थे. 

एनसीडबल्यूईबी की डायरेक्टर प्रोफेसर गीता भट्ट ने स्वागत वक्तव्य में वर्तमान समय में लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की नेतृत्व क्षमता, दूरदर्शिता, निर्णय क्षमता, एकीकरण, सामाजिक उत्तरदायित्व आदि के संदर्भ में भारतीय दृष्टिकोण आधारित ‘स्व की खोज के मंथन' पर बल दिया.

मुख्य अतिथि अनिल गुप्ता ने कहा कि, अहिल्याबाई के चरित्र में राम व शिवाजी के चरित्र एवं दूरदर्शिता की झलक देखने को मिलती है. उन्होंने कहा कि रामायण में भारत द्वारा अयोध्या का शासन संभालने के लिए जो 72 प्रश्न पूछे थे वे अहिल्याबाई के प्रशासनिक दृष्टिकोण में नजर आते हैं. अहिल्याबाई हमारे जीवन के लिए एक प्रेरक चरित्र हैं. 

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